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                              संप्रदायिकता 

सांप्रदायिकता क्या है ?

  • सांप्रदयिकता एक विचारधारा  है , जो किसी समुदाय के सदस्य एक समान दृस्टि साझा करते है जो की धर्म पर आधारित होती है एवं राष्ट्रवाद पर आधारितहोती है। 
  • इसके  तीन प्रमुख तत्व है :-  
  1. धार्मिक समुदाय के सदस्य समान हित  साझा करते है 
  2. दो अलग -अलग धर्म के सदस्य समान हित  साझा नहीं करते 
  3. विभिन्न धार्मिक समुदायों के बिच रिश्ते  शत्रुतापूर्ण होते है। 
  • साम्प्रदायिकता का संबंध एक अन्य धारणा  से भी है वह  है सांप्रदायिक हिंसा। 
  • सांप्रदायिकता एक जाग्रति है ,  यह जागरूकता हिंसा में तब्दील हो जाती है किन्ही दो धार्मिक गुटों के बिच में तब यह सांप्रदायिक हिंसा कहलाती है। 
  • साम्प्रदायिकता को समझने एवं उसका  अध्ययन करने के लिए विभिन्न उपागम है। 
  1. पहला अवधारणा है वह  आनुभाविक  अवधारणा जिसे विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न साप्रदायिक दंगो के अध्ययन में प्रयोग किया था। 
  2. दूसरी अवधारणा है  भौतिकवादी दृश्टिकोण ,जो सामाजिक परिस्थितियों को निचले सिरे से समझने की कोशिश करता है , जिसमे राज्य की प्रकृति एवं उसकी भूमिका, विभिन्न समुदायों के संगठन निर्माण इत्यादि इसी दृश्टिकोण का हिस्सा है। 
  3. तीसरा दृश्टिकोण आवश्य्क दृश्टिकोण या सार  तत्व दृश्टिकोण है। इसमें सभी समुदाय के लोग अलग-अलग रहते है तथा इनके आंतरिक संबंध उन्हें अलग-अलग रखते है। 
  •  अमेरिका विचारक हंटिंग्टन ने अपनी पुस्तक क्लेश ऑफ़ सिविलाइजेशन में इस दृटिकोण की रुपरेखा प्रस्तुत की है। 



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साम्प्रदायिकता की उतपत्ति 

  • साम्प्रदायिकता एक विचारधारा के रूप में भारत में ओपनिवेशिक शासन की उपज है। 
  • भारत में साम्प्रदायिकता मुख्य तौर  पर औपनिवेशिक शासन की नीतियों की देन है ,विशेषकर 1857 के विद्रोह के बाद ओपनिवेशिक शासन की नीतियाँ  विभिन्न समुदायों की तरफ दोहरी थी। 
  • जेम्स मिल ने अपनी एक किताब लिखी "ब्रिटिश भारत का इतिहास "जिसमे उन्होंने इस बात का जिक्र किया की भारत के इतिहास को तीन भागो मेंधर्म के आधार तीन कालो में बाँटा  जा सकता है।  प्राचीन काल, मध्य काल  एवं आधुनिक काल। 
  • मिल  ने इस बात  भी  जिक्र किया की भारत का प्राचीन काल  स्वर्णीम  काल  था कियोकि उस वक्त  हिन्दुओ का शासन था। 
  • जबकि मध्यकाल में मुस्लिम शासको ने इसे आक्रमण करके तबाह क्र दिया था तथा भारत का प्राचीन युग का नाश कर  दिया था एवं मुसलमानो का  शासन स्थापित किया। 
  • आधुनिक शासन मुसलान शासन का अंत था  और इसके स्थान पर ब्रिटिश या अंग्रेजी शासन भारत में स्थापित हो गया था। 
  • इस प्रकार के कालखंड का प्रयोग इतिहास विदो  ने समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने  के लिए किया था। कियोकि भारत का ज्यादातर बुद्धिजीव वर्ग ने विरोध किया। 
  • सैयद अहमद खान ने इसका समर्थन किया कियोकि उनका मानना थे की इसे मुसलमानो का हिस्सा प्रशासन के पदों में बढ़ेगा। 
  • 1906 में मुस्लिम लीग का  गठन हुआ जिसे ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा भी उकसाया गया। अन्य क्षेत्रो में भी ब्रिटिश संकर ने हिन्दू धर्म के कुछ वर्गो को उकसाया ताकि कांग्रेस के अंतर्गत राष्ट्रीय एकता को को बाँटा  जा सके। 
  •  कुछ हिन्दू इतिहासकारो के अनुसार, मुस्लिम आकमणकारियो ने हिन्दुओं की प्रतिष्ठा  को बर्वाद किया जबकि कुछ इतिहासकारो के अनुसार ब्रिटिश सत्ता ने इस्लाम की प्रतिष्ठा  को नुकसान पहुंचाया। 
  • उनके सनुसार इस्लाम की प्रतिसठ   को वापस एक बार फिर  से बहाल   करना होगा।  यह तभी संभव है जब भारत में इस्लामिक शासन की स्थापना हो। इन दो संस्करणों ने ही  दुइ -राष्ट्र के सिद्धांत को जन्म दिया। 
  • भारतवासियो को संप्रयादिक आधार पर बाटने की नीतियों के मद्देनजर 1909  मार्ले मिंटो सुधर लागु किया गया, जहा अलग निर्वाचित मण्डल  को लागु किया। 
  •  1920 के दशक में खिलाफत आंदोलन  शुरुआत हुई जिसने पहली बार मुस्लिम समुदाय के लोगो को राजनैतिक घेरे में लाया गया। 
  • इन सब बातो  था की अलग पहचान  पर बिज बोया  जा रहा था। 
  • औपनिवेशिक शासन ने 1930 -32  गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया जंहा पर सभी वर्गो का प्रतिनिधित्व था। 
  • साम्प्रदायिकता के संदर्भ में विभिन्न धार्मिक समुदायों के गैरधार्मिक हित  एक दूसरे के विरोधी होते है। इस प्रकार भारत में सांप्रदायिक का विकास 19 वि  सदी के अंत से देश के बटवारे तक हुआ। 

सांप्रदायिकता और राज्य 

  • राज्य साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने में दो तरह से भुमिका निभाता है। 
  1. एक यह ऐसी नीतिया  बनता है जो या तो सांप्रदायिकता को बढ़ाता है यह उसे कम करता है 
  2. दूसरा यह ऐसी संस्थाओ तथा लोगो के खिलाफ कार्यवाही कर  सकता है जो साम्प्रदायिक हिंसा फैलते है। 
  • राज्य की भूमिका उन लोगो  पर निर्भर  करती है जिनका राज्य  पर नियंत्रण या दवाब होता है। 
  • जोया हसन (1990 ) ने यह दलील दी की राज्य ने धार्मिक कटटरपंथियो के सामने आत्म समर्पण कर  दिया है जिसमे मुस्लिम महिला बिल एवं राम जन्म भूमि केस शामिल है। 

साम्प्रदायिकता और मीडिया 

  • मीडिया एवं साम्प्रदायिकता एक दूसरे के साथ जुड़े हुए  है। 
  • मीडिया भी साम्प्रदायिकता बढ़ाने एवं इसके विरुद्ध आवाज उठाने में अहम भूमिका निभाता है। 
  • 21 वि सदी में सोशल मीडिया बहुत निर्णायक भूमिका निभा  रहा है  भारत में साम्प्रदायिक को बढ़ाने में। 
  • प्राय: मीडिया जाली खबर फैलाता है , तथा ऐसी सूचनाएं देता है जो की साम्प्रदायिकता को बढ़ाने में मदद  करता है। 
  



























  
                           

 

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