स्वतंत्रता बनाम नियंत्रण
स्वतंत्रता का अर्थ
- स्वतंत्रता की धारणा जटिल है और इसका प्रयोग अलग-अलग समय पर भिन्न भिन्न अर्थों में हुआ है।
- इसे अक्सर 'आजादी 'शब्द के संदर्भ में एक दूसरे के लिए प्रयोग किया जाता है और दोनों को एक दूसरे के समानार्थी माना जाता है।
- यधपी कुछ विद्वान है जो आजादी और स्वतंत्रता के बीच भेद करते हैं वह तर्क देते हैं कि 'स्वतंत्रता' राजनीतिक या कानूनी आजादी को प्रदर्शित करती है जबकि 'आजादी' व्यक्ति की क्षमता के अंतर्गत गतिविधियों की एक बड़ी श्रेणी शामिल करती है जिसे वह अपनी इच्छा के अनुसार बिना किसी बाहरी दबाव के कर सकता है।
- स्वतंत्रता का मतलब है कि किसी को भी बिना बाहरी अवरोध के अपनी पसंद के हिसाब से चयन करने का अधिकार है। जी. डी.एच कोल ने स्वतंत्रता की अवधारणा को स्पष्ट रूप से बताते हुए कहा कि 'व्यक्ति की स्वतंत्रता व्यक्तित्व को भारी बाधाओं के बिना व्यक्त करने की स्वतंत्रता है'।
- मैककेनी ने तर्क दिया कि 'स्वतंत्रता सभी प्रकार के नियंत्रण के अनुपस्थिति नहीं है यह तर्क ही नियंत्रण की जगह तार्किक नियंत्रण को दर्शाती है'।
- महात्मा गांधी के अनुसार "स्वतंत्रता का मतलब प्रतिबंध की अनुपस्थिति नहीं है ,बल्कि यह व्यक्ति के विकास में निहित है"।
- जेरोल्ड मैक्कलम का स्वतंत्रता के बारे में तर्क है कि 'आजादी' कुछ सीमाओं के साथ स्वतंत्रता है।
- सर आइजिया बर्लिन ने अपनी प्रसिद्ध निबंध "2 कांसेप्ट ऑफ लिबर्टी"( 1941) में दिए, जिसमें उन्होंने राज्य की भूमिका के आधार पर सकारात्मक स्वतंत्रता और नकारात्मक स्वतंत्रता के बीच अंतर बताएं ।
- नकारात्मक स्वतंत्रता से तात्पर्य है कि राज्य द्वारा अनावश्यक हस्तक्षेप से स्वतंत्रत होना।
- सकारात्मक स्वतंत्रता तात्पर्य तर्कसंगत आत्मक की स्वतंत्रता से है ।
- नकारात्मक स्वतंत्रता व्यक्ति को अकेले छोड़ने के बारे में है जबकि सकारात्मक स्वतंत्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को विकसित करने की स्वतंत्रता से संबंधित है।
- सकारात्मक स्वतंत्रता के लिए राज्य को ऐसी स्थितियों का सृजन करना चाहिए जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमता में वृद्धि, भौतिक विकास और आत्मबोध की प्राप्ति कर सके जबकि नकारात्मक स्वतंत्रता की सभा में राज्य की कोई भूमिका नहीं होती है ।
- जे एस मिल ने 'आत्म- संबंधी' तथा 'अन्य संबंधित' आचरण के बीच अंतर किया। उन्होंने तर्क दिया कि आत्म संबंधित आचरण में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए ।
- नोबेल पुरस्कार विजेता अमृत्य सेन ने मानव क्षमता के विस्तार के रूप में स्वतंत्रता की व्यापक अवधारणा दी है सेन अपनी पुस्तक, 'डेवलपमेंट ऐज़ फ्रीडम' वे कहते हैं कि "विकास को वास्तविक स्वतंत्रता के विस्तार की प्रक्रिया के रूप में देखा जा सकता है जिसका लोग आनंद करते हैं मानव स्वतंत्रता पर ध्यान केंद्रित करना विकास के संकुचित विचारों के साथ विरोधाभास पैदा करता है जैसे कि सकल राष्ट्रपति उत्पाद या व्यक्तिगत आय मैं वृद्धि या औद्योगिकरण या तकनीकी प्रगति या सामाजिक आधुनिकीकरण"।
- थामस हॉबस ने स्वतंत्रता को 'कानून की चुप्पी पर निर्भर' रहने वाला बताया।
- मिल्टन फ्रीडमैन ने अपनी पुस्तक 'कैप्टलिसम एंड फ्रीडम 'में तर्क दिया कि स्वतंत्रता' एक आदमी पर उसके साथियों के द्वारा डाले जाने वाले दवा की अनुपस्थिति है '।
- नकारात्मकता स्वतंत्र के विपरीत, सकारात्मकता स्वतंत्र समाज सामाजिक आर्थिक स्थितियों अधिकारों समानता और न्याय के साथ स्वतंत्रता को जोड़ती है।
- इस नई दृष्टि का मानना था कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बजाय सामान्य अच्छाई पर जोर दिया जाना चाहिए ।
- टी एच ग्रीन में विचार दिया कि स्वतंत्रता प्रतिबंध की अनुपस्थिति नहीं है बल्कि ऐसा कुछ करने के लिए सकारात्मक शक्ति है जो महत्वपूर्ण व आनंददायक हो ,जिसे हम सामान्यता दूसरों के साथ मिलकर करते हैं या आनंद लेते हैं।
- हैरोल्ड लास्की की ने कहा कि' स्वतंत्रता उस माहौल को बनाए रखने के लिए उत्सुक रहती है जिसमें सभी को अपने सर्वश्रेष्ठ मोहित की प्राप्ति के अवसर मिलते हैं'।
स्वतंत्रता पर जे एस मिल के विचार
- जे एस मिल के निबंध 'ऑन लिबर्टी ' को राजनीतिक स्वतंत्रता की चर्चाओं में एक ऐतिहासिक प्रकाशन के रूप में जाना जाता है।
- मिल के अनुसार, स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति का विकास असंभव है और यह समाज की खुशी के लिए भी आवश्यक है उनका मानना है कि प्रतिबंध एक बुराई है और व्यक्ति को 'स्वयं पर' छोड़ दिया जाना चाहिए।
- स्वतंत्रता पर मिलके तक दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है जो इस प्रकार है- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा कार्यवाही की स्वतंत्रता।
- मिल विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में पूर्ण स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं और तर्क देते हैं कि 'यदि सिवाय एक व्यक्ति को छोड़कर संपूर्ण मानव जाति की एक राय थी ,और केवल एक व्यक्ति का विचार वितरित था, तो मानव जाति के द्वारा उस एक व्यक्ति को शांत कराना न्याय संगत नहीं होगा, अगर उस व्यक्ति के पास शक्ति थी, जब मानव जाति को शांत कराना न्याय संगत होगा,।
- दूसरा, उन्होंने स्वीकार किया कि एक संभावना है कि वह एक राय झूठी हो, लेकिन इस मामले में भी अभिव्यक्ति मूल्यवान है क्योंकि यह मौजूदा सत्य की पुष्टि करेगा।
- आखिर में, वह तीसरे विकल्प पर भी चर्चा करते हैं और इस विचार से सहमत होते हैं कि सच्चाई अक्सर 'उदार' होती है और आसान किस रूप से सत्य व आंशिक रूप से झूठ हो सकती है।
- मिल का मानना था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विचारों के संघर्ष को सुगम बनाती है जिससे विचार चर्चा और प्रगति को बौद्धिक प्रोत्साहन मिलता है।
- वो आश्वस्त थे कि इस तरह की स्वतंत्रता के अभाव मे, समाज पर हठधर्मिता का प्रभुत्व होगा।
- उन्होंने सभी मानवीय कार्यों को दो श्रेणियों में विभाजित किया ,जैसे - 'स्वयं से संबंधित क्रियाकलाप 'और 'अन्य से संबंधित क्रियाकलाप'।
- स्व- संबंधित कार्य वे हैं जो केवल व्यक्ति से सरोकार रखते हैं और इस क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए ।
- व्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ हस्तक्षेप केवल उसे दूसरों को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए उचित है अर्थात अन्य से संबंधित क्रियाकलापों के मामलों में ।
- यह समझा जा सकता है कि यदि आप ईमेल भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करते हैं, साथ ही साथ उन्होंने व्यक्ति द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कुछ सीमाएं लगाने का समर्थन किया ताकि समाज में व्यवस्था बनी रहे।
- यहां 'नियंत्रण' की अवधारणा आती है क्योंकि यह सीमाएं समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के नियंत्रण का आकार लेती है।
नियंत्रण (सेंसरशिप): अवधारणा
- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति 443 डीसी से रूम में स्थापित सेंसर कार्यकाल से हुई है इसके द्वारा नैतिकता को नियंत्रित करने और अनुष्ठान एक रुप से लोगों को शुद्ध करने का मकसद था।
- नियंत्रण को आज के समय में समानता एक अशिक्षित और अधिकाधिक दमनकारी दौर के अवशेष के रूप में माना जाता है।
- समाज के अंतर्गत प्रसारित विचारों, सार्वजनिक संचार व सूचनाओं के माध्यमों का दमन या अकंश , नियंत्रण कहलाता है।
- रितु मिलन का तर्क है कि नियंत्रण तब होता जब एक ऐसा विचार व्यक्त करने वाली कला जो वर्तमान मानता ओं के तहत नहीं आती है उसे जब्त कर लिया जाता है उसमें कटौती या उसे वापस लिया जाता है या अंडे खाय बदनाम किया जाता है अर्थात दर्शकों की पहुंच से दूर किया जाता है।
- नियंत्रण एक ऐसा तरीका है जिसका उपयोग राज्य या सामाजिक संस्कृति क्षेत्र में छल कपट के माध्यम से अपनी सत्ता शक्ति को बनाए रखने के लिए करता है।
- समाज में क्या स्वकार्य है इसका निर्णय लेने में संस्कृति क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- शानदार क्रांति और फ्रांसीसी क्रांति ने इतिहास में एक नए युग को चिन्हित किया क्योंकि लोगों ने स्वतंत्रता समानता और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भूमिका जैसे आदर्शों की मांग शुरू की।
- जर्मनी में नाजीवाद और इटली में फासीवाद का उदय हुआ क्योंकि शक्ति का उच्च स्तर का संकेंद्रण हुआ परिणाम स्वरुप द्वितीय विश्व युद्ध हुआ हिटलर और मुसोलिनी ने लोगों के दिमाग पर नियंत्रण रखने के लिए अभी आंतरिक भाषा का इस्तेमाल किया तथा अभिव्यक्ति के सभी रूपों को दबा दिया जो उनके अधिकार और वैधता पर सवाल उठा सकते थे।
- तानाशाह के तहत भाषा से अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं रही बल्कि राज्य ने इसे समर्थन और और स्वीकृति के वाक्यांशों को परिभाषित करने के लिए इस्तेमाल किया जिन वाक्यांशों को सभी के द्वारा स्वीकार किया जाना था ।
- आधिकारिक कम्युनिस्ट पार्टी सिद्धांतों के प्रकाश में ऐसे पर्यवेक्षण राजनीतिक चर्चा हो या किताब और समाचार पत्रों तक सीमित नहीं थे बल्कि प्रसारण समेत सभी प्रकार के विषयों और प्रकाशन के सभी रूप को समेटे हुए थे
- इसके परिणाम स्वरूप उन लेखकों को स्व नियंत्रण करना पड़ा जो किसी तरह से अपना काम प्रकाशित करना चाहते थे 1980 के दशक के उत्तरार्ध में सरकार की ग्लास्नोस्ट की नीतियों के आगमन से नियंत्रण में कुछ छूट दी गई।
- नव उदारवादी नीतियों के आगमन में अंतरराष्ट्रीय मामलों को संरचना को परिवर्तित कर दिया निजीकरण और उदारीकरण जैसे शब्दावली प्रचलन में आए जो देशों को मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के जादू ही विचार को स्वीकार करने के लिए दबाव डाल रही थी।
- अंधाधुन विज्ञापनों से भी हुई बाजार संचालित अर्थव्यवस्थाओं ने ना केवल लोगों की क्रय शक्ति और आवश्यकता को प्रभावित किया बल्कि नागरिकों की राजनीतिक राय को गढ़ और पुनर निर्मित किया।
- चुनाव अभियान उन विज्ञापनों के अधीन हो गए जिन्होंने शब्दों के अर्थों को विकृत करना शुरू कर दिया और वाक्य अशोक को उनके संदबाग से हटाकर प्रस्तुत करने लगे।
- इस तरह के अप्रत्यक्ष संस्कृति बाजार केंद्रित नियंत्रण के साथ वास्तविक खतरा इस तथ्य में निहित है कि या सोचने के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं डालता है।
- अपितु पूरी तरह से स्वयं के बारे में सोचने की क्षमता को नष्ट करता है और व्यक्ति के तर्कसंगत होने के पूरे विचार पर प्रश्नचिन्ह लगाता है ।
- इस प्रकार, उपयुक्त चर्चा से पता चलता है कि पूरे इतिहास में विभिन्न रूपों में नियंत्रण का इस्तेमाल लोगों के दिमाग को नियंत्रित करने और आदित्य की शक्ति को बनाए रखने और समाज में व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर अधिकारियों के द्वारा उनके कृत्यों और नीतियों के लिए बनता हासिल करने हेतु किया जाता रहा है।
स्वतंत्रता और नियंत्रण के मध्य संबंध
- एक मुक्त समाज का अस्तित्व विभिन्न समूह के बीच संवाद सूचनाओं का मुफ्त प्रभाव और निरंतर वाद विवाद और आलोचना के लिए स्थान पर निर्भर करता है क्योंकि यह ज्ञान के क्षितिज का विस्तार करने और मौजूदा सत्य की पुनः स्थापित करने की अनुमति देता है।
- यह तर्क राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1976) के मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की नीव बन गया, कि सूचना का अधिकार, अनुच्छेद 19 (1) के अंतर्गत मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है।
- यह स्वतंत्रता के महत्व को भी जाता है जिसे राज्य द्वारा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ अर्थात प्रेस को दिया जाना चाहिए।
- राज्य एक समय अवधि में नियंत्रण के विभिन्न तंत्रों के माध्यम से संचार के मुक्त प्रवाह को रोकने की कोशिश करता है स्वतंत्रता पर राज्य और नागरिकों के बीच निरंतर संघर्ष हाब्स और लॉक समय से ही देखा जा सकता है।
- हाब्स ने तर्क दिया कि राज्य से सुरक्षा पाने के बदले में नागरिकों को अपने कुछ अधिकारों का समर्पण करना चाहिए।
- लॉक ने एक सच्चे उदारवादी होने के नाते तर्क दिया कि राज्य केवल एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करने और प्रत्येक नागरिक के सार्वजनिक और निजी लेनदेन की देखरेख करने के लिए था उन्होंने व्यक्तियों की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने वाले राज्य में नागरिकों की उदार स्थिति का बचाव किया ।
- जे एस मिल ने नियंत्रण के खिलाफ तर्क देते हुए सुझाव दिया कि मानव का ज्ञान भिन्न-भन्न राज्यों को व्यक्त करने से आगे बढ़ाता है, ताकि सच्चाई और त्रुटि के बीच के अंतर को स्पष्ट ता से देखा जा सके।
- इस प्रक्रिया में 'नियंत्रण' हस्तक्षेप कहलाती है और पहले से ही घोषणा कर देती है कि या या वह राय गलत या निषिद्ध है ।
- कार्ल पापर और आइजिया बरेली नियंत्रण के विरुद्ध थे।
- काल पापर तर्क देते हैं कि समाज की योजना बनाने का नियंत्रण करने के किसी भी प्रयास से मानव स्वतंत्रता में कमी आएगी।
- आईजिया बर्लिन तर्क देते हैं कि" प्रबुद्ध तानाशाही "अनिवार्य रूप से राज्य वाद को जन्म देता है और इसलिए यह 'मानव विचार के पूरे इतिहास में सबसे शक्तिशाली और खतरनाक तर्को में से एक हैं ।
- हरबर्ट मार्कयूज़ तर्क देते हैं कि किसी राज्य में नियंत्रण के कानूनों का अभाव है तो जरूरी नहीं है कि व्यक्तियों की स्वतंत्र इच्छा का योग्यतम प्रयोग की गारंटी हो।
- लुई अलथुज़ेर के 'राज्य दमन सिद्धांत' को समझना उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वह राज्य के दमनकारी और वैचारिक तंत्र के बीच अंतर करते हैं।
- उन्होंने बताया कि वैचारिक तंत्र समाज के निजी क्षेत्र ऐसे परिवार शिक्षा धर्म मीडिया आदि से संबंधित है जो सूचनाओं पर नियंत्रण के माध्यम से समाज की प्रमुख विचारधारा का सृजन करता है।
- इस प्रकार, ' नियंत्रण' व्यक्तियों या वर्गों द्वारा नहीं किया जा सकता है, बल्कि या निजी डोमेन द्वारा अनजाने में की गई एक प्रक्रिया है, जिसमें अंतर्निहित है।
- इस प्रकार, उपयुक्त तर्कों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि नियंत्रण का उपयोग हमेशा राज्य द्वारा सीधे अपनी शक्ति को बनाए रखने के लिए नहीं किया जा सकता, लेकिन कई बार इसका उपयोग संस्कृति समाज मीडिया धर्म शिक्षा आदि के माध्यम से किया जा सकता है।
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