BPSC-131 LOKTNTRA

                लोकतंत्र 

 परिचय : लोकतंत्र का अर्थ 

  • लोकतंत्र का उदय यूनान में हुआ , क्योकि ऐसा माना  जाता है की 500  ई पु  के आस - पास यूनान में पहली लोकतांत्रिक  सरकार बनी थी
  • लोकतंत्र  का मतलब 'लोगो  के द्वारा शासन ' होता है जो की सरकार को सच्चे अर्थो में वैधानिकता प्रदान करता है। 
  • लोकतंत्र  से जुड़े हुए दो मुद्दे  स्वतंत्रता और समानता में एक अन्तनिहित  तनाव देखने मिलता है जिसने सभी प्रकार के लोकतंत्रो को जूझना पड़ता है।  
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रसारती करने पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को हानि पहुँचती है।  एक अन्य मुद्दा अल्पसंख्यक हितो का है। 
  • अन्य प्रकार की शासन - प्रणालीयो की अपेक्षा लोकतंत्र को बेहतर माना  जाता है। 
  • मिल ने अपनी पुस्तक 'कन्सिडरन्स ऑफ़ रपर्सेन्टेटिवे गवर्मेन्ट 1861   लोकतंत्रिक निर्यण -निर्माण के तीन लाभ बताए है। 
  1. रणनीतिक तौर  पर लोकतंत्र निति - निर्माताओं को बाध्य करता है  लोगो  आधिकारो , मतो और हितों के प्रति उत्तरदायी बने रहे , जैसे की कुलीनतंत्र या अधिनायतंत्र में नहीं होता है। 
  2. ज्ञानमीमांसा के तौर पर लोकतंत्र में विभिन्न प्रकार के दृश्टिकोणो की उपस्थिति होती है , जिससे निति - निर्माताओं को उनमे से सर्वोत्तम को चुनने का मौका मिलताहै।  
  3. लोकतंत्रतार्किकता, स्वायतता  और स्वतंत्रता जैसे विचारो को समाहित क्र नागरिको के चरित्र निर्माण में सहयोग प्रदान  है। 


  • आधुनिक  लोकतंत्र का जन्म ब्रिटेन और फ्रंसा में हुआ और वही  से अन्य देशो में इसका प्रसार हुआ। 
  • लोकतंत्र के विस्तार में अनके कारण उत्तरदायी है - भ्र्ष्टाचार और अक्षमता  , शक्तियों का दुरूपयोग , उत्तरदायित्व की अनुपस्थिति  दैवीय शक्तियों की संकल्पना पर आधारित राजाओ का अन्यायपूर्ण शासन। 
  • व्यापक संदर्भ में , लोकतंत्र के अंतर्गत बहुत सी विशेषताओं को सम्मिलित किया  जा सकता है। 
  • लिखित संविधान , विधि का शासन , मानव अधिकार , स्वतंत्र पत्रकारिता और न्यायालय कार्यपालिका , विधायिका और न्यायपालिका के बीच  शक्तियों का विभाजन इत्यादि को लोकतंत्र के आधारभूत लक्षणों के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। 
  • 1789 की फ्रन्सीसी क्रांति में लोकप्रिय सम्प्रुभता के साथ -साथ स्वतंत्रा , समानता और बंधुत्व बात की गयी। यदपि उस समय महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं मिला और फ्रासं में 1944  में जाकर सार्वजनीन वयस्क मताधिकार लागु किया गया। जबकि ब्रिटेन में 1928 और अमेरिका में 1920  में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। 
  • लोगो के मताधिकार के शासन करने के आधार पर लोकतंत्र को प्रतक्ष्य और प्रतिनिधि लोकतंत्र के रूप में विभाजित किया जा सकता है। 
  • प्रतक्ष्य लोकतंत्र शासन में प्रत्यक्ष और अमधयवर्ती  नागरिक सहभागिता पर आधारित होता है। 
  • प्रतक्ष्य लोकतंत्र शासक और शासित तथा राज्य और नागरिक सहभागिता पर आधारित होता है। 
  • समकालीन समय  में प्रत्यक्ष लोकतंत्र  सिवसकैप्टन में पाया जा सकता है। 
  • आधुनिक राज्य की बड़ी जनसंख्या व  भौगलिक स्थिति की वजह  प्रत्यक्ष लोकतंत्र  संकल्प कठिन हो जाती  है। 
  • इस समस्या के समाधान  के रूप में  प्रतिनिधि लोकतंत्र का विकास हुआ ,  जो की सर्वप्रथम 18 वी. शताब्दी  उत्तरी यूरोप में प्रयोग में  आया। प्रतिनिधि लोकतंत्र, लोकतंत्र का एक सिमित और अप्रत्यक्ष स्वरुप है। 
  • दुनिया  में अध्यक्ष्यात्मक और संसदात्मक लोकतंत्र के रूप में दो मुख्य प्रकार के प्रतिनिधिय लोकतंत्र पाए जाते है। 
  • अध्यक्ष्यात्मक लोकतंत्र की अपेक्षा संसदात्मक  लोकतंत्र अधिक प्रतिनिधित्यात्मक  होता है , लेकिन साथ ही कम स्थिर होता है।

प्रक्रियात्मक / न्यूनतम और वास्तविक / अधिकतम आयाम 

प्रक्रियात्मक / न्यूनतम आयाम 

  • लोकतंत्र   भिन्न आयामो से ठीक तरीके  से समझा जा सकता है - प्रक्रियात्मक / न्यूनतम और वास्तविक / अधिकतम आयाम  . 
  • प्रक्रियात्मक आयाम अपना ध्यान केवल लोकतंत्र प्राप्ति की प्रक्रिया अथवा साधनो पर केंद्रित करता है। 
  • इसका तर्क है की सार्वजानिक वयस्क मताधिकार पर आधारित नियमित प्रतिस्पर्धी चुनाव और बहुत राजनितिक सहभागिता के माध्यम से लोकतांत्रित रूप से चयनित सरकार बनती है। 
  • जोसफ स्चूम्पटर ने 1942  में अपनी पुस्तक 'कैपिटलिज़्म , सोशलिज़्म  और डेमोक्रसी ' में कहा की लोकतंत्रराजनितिक निर्णयों तक पहुँचने का एक संस्थात्मक व्यवस्थापन है जिसमे व्यक्ति पर्तिस्पर्धारत्मक  संघर्ष के माध्यम से लोगो के मत प्राप्त कर  निर्णय करने  की शक्ति प्राप्त है। 
  • हंटिंग्टन ने भी इस तरह के विचारो को प्रतिबिम्बित किया है ," लोकतंत्र की केंद्रीय प्रक्रिया उन लोगो द्वारा प्रतिस्पर्धी चुनाव के माध्यम से नेताओ का चयन है , जो शासित होते है। 
  • टेरी  कार्ल का कहना है की एक ऐसी परिस्थित जंहा चुनावी प्रक्रिया को लोकतंत्र के अन्य आयामों से प्रथमिकता दी जाती हो , न्यूनवादी दृश्टिकोण 'चुनाववाद में दोष ' का कारण हो सकता है।  

वास्तविक / अधिकतम आयाम 

  • वास्तविक लोकतंत्र प्रकृयात्मक लोकतंत्र की कमी को दूर करने का प्रयास करता है , इसका मानना  है की सामाजिक और आर्थिक असमानता लोकतन्त्रतिक प्रक्रिया में जनसहभागिता में बाधा  हो सकती है। 
  • एक अर्थ में , यह सिमित लोगो के हित  के बजाय सामान्य - है  की बात करता है। 
  • स्कम्पेटर का विश्वास है की लोकतंत्र की ऐसी सकल्पना जो समानता के महत्वकांक्षी स्वरुप को अपना लक्ष्य मानती है खतरनाक है। 
  • इसके विपरीत रूसो का तर्क है की लोकतंत्र का औपचारिक प्रकार दास - प्रथा के समान है और केवल समतावादी लोकतंत्र ही राजनितिक वैधता  को प्राप्त है। 

लोकतंत्र के प्रकार 

शास्त्रीय लोकतंत्र 

  • शास्त्रीय लोकतंत्र का आधार प्राचीन यूनानी नगर - राज्यों में विकसति  एक ऐसी शासन प्रणाली से था जो की सम से बड़े और शक्तिशाली नगर - राज्यों में जनसमूहों की बैठक पर आधारित है। 
  • इस स्वरुप का महत्वपूर्ण स्वरुप यह था की लोग राजनितिक रूप से अत्यधिक सक्रिय थे। 
  • सभा की बैठकों के अतिरिक्त नागरिक निर्णय - निर्माण  और सार्वजनिक कार्यालयों में अपना योगदान देते थे। हालांकि  इसमें महिलाओं , दासो  और प्रवासियों को नागरिकता से बाहर रखा गया। 
  • प्लेटो ने अपनी ' द  रिपब्लिक में एथेंस के लोकतंत्र की यह कहकर आलोचना की की लोग स्वंय पर शासन करने के लिए बोद्धिक  रूप से योग्य नहीं थे , उन्हें दार्शनिक राजा और अभिभावकों से शासित  होने की आवश्यकता है क्योकि यही उनके अनुकूल है। 

कुलिनवादी सिद्धांत 

  • इस  सिद्धांत का प्रतिपादन विल्फ्रेडो पैरेटो , जी. मोस्का, रॉवर्ट  मिशेल्स और जोसेफ  शुम्पीटर ने किया था। 
  • इस सिद्धांत का विकास समाजशास्त्र के अध्ययन  क्षेत्र में हुआ था लेकिन इसका महत्वपूर्ण निहितार्थ राजनीती शास्त्र के साथ भी है।  
  • मिशेल्स ने ' अल्पतंत्र का लौह  नियम ' दिया , जिसके अंतर्गत उन्होंने तर्क दिया की अपने वास्तविक लक्ष्य से इतर  प्रत्येक संगठन अल्पतंत्र के रूप में सिमित होकर ' कुछ लोगो के शासन ' के रूप में परिवर्तन हो जाता है। 
  • मोस्का का कहना है की लोगो को दो श्रेणियों शासक और शासित के रूप में विभाजित किया जा सकता है।

बहुलवादी सिद्धांत 

  • कुलीन सिद्धांत के विपरीत बहुलवादी विश्वास करते है की निति -निर्माण एक विकेद्रीकृत प्रक्रिया है , जहां विभिन्न समूह अपने विचारो को स्वीकृति दिलाने के लिए मोल - तोल  करते है। 
  • डहल  और लिंडब्लॉम ने ' बहुतंत्र ' की सकल्पना दी , जिसका मतलब था सभी नागरिको के शासन के बजाए बहुत से लोगो का शासन। 

सहभागी लोकतंत्र 

  • इस संदर्भ में सभी लोकतंत्र सहभागी होते है की वे लोकप्रिय सहमति पर आधारित होते है , जोकि इसके सहभागी प्रकृति को सुनिश्चित करता है। 
  • कुलीनतंत्रीय और बहुलवादी सिद्धांत के विपरीत सहभागी लोकतंत्र सामान्य - हित  को प्रोत्साहित करने के लिए निति - निर्माण में नागरिको की सहभागी का समर्थन करता है , साथ ही यह सरकार की नागरितो  के प्रति अधिक ज़िम्मेदार बनाता  है। 
  • रूसो का कहना है की लोकप्रिय संप्रुभता  लोगो के हाथो में स्थित सर्वाधिक , महत्वपूर्ण शक्ति है , जोकि उनका अहस्तांतरणीय अधिकार है और सभी नागरिको को राज्य के मामले में शामिल होना चाहिए। 
  • मिल का कहना  है की जो सरकार  अपने नागरिकों  के नैतिक , बौद्धिक और सक्रिय गुणों को प्रोत्साहित करे , वह  सबसे अच्छी सरकार होती है।   

विमर्शी लोकतंत्र

  • विमर्शी लोकतंत्र  का तर्क है की राजनितिक - निर्णय नागरिको के बिच न्यायपूर्ण और तर्कसंगत विमर्शी के माध्यम से होना चाहिए। 
  • राल्स का मत है की एक न्यायपर्ण राजनितिक समाज की प्राप्ति के लिए विवेक  के लिए विवेक के माध्यम से हम सुवारथ पर नियंत्रण प् सकते है। 
  • हैबरमास का मत है की न्यायपूर्ण प्रकिरिया और स्पस्ट संचार के माध्यम से निर्णयों पर सहमति बनाई जा सकती है तथा वैधता प्राप्त किया जा सकता है। 

जनवादी लोकतंत्र 

  • जनवादी लोकतंत्र का आशय लोकतंत्र के उस मॉडल  जिसका निर्माण साम्यवादी  परम्परा के अंतर्गत किया गया है। 
  • जनवादी लोकतंत्र की स्थापना सर्वहारा - क्रांति के बाद हुई जब सर्वहारा - वर्ग ने राजनितिक - निर्णयों  में अपनी भूमिका निभाना शुरू कर  दिया। 
  • जनवादी लोकत्रंत के माध्यम से साम्यवाद को आत्मनियत्रंण  का रास्ता  मिला है। 

समाजवादी लोकतंत्र

  • समाजवादी लोकतंत्र मार्क्सवादी  चिंतन  आधारभूत परिवर्तन की बात करता है। 
  • यद्यपि  दोनों के लक्ष्यो में समानता है , परन्तु समाजवादी लोकतंत्र क्रांति के बजाय उत्पादन के साधनो पर राज्य के नियंत्रण के माध्यम से इसे प्राप्त करना चाहते यह। 
  • समाजवादी लोकतंत्रवादी  लोकतंत्र की इस मार्क्सवादी समालोचना में विश्वास नहीं रखते क्योकि इसमें वर्गीय - शासन के लिए बुर्जुआ ताकते  मुखौटा पहने रखती है
  • इसकी वजह समाजवादी  लोकतंत्र वादी लोकतंत्र को समाजवादी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अनिवार्य मानते हैं 
  • इस कारण वे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए व्यापार और उद्योग में राज्य के नियंत्रण की बात करते हैं

ई -लोकतंत्र

  • यह तुलनात्मक रूप से नई संकल्पना है ,लेकिन यह पूर्व के सिद्धांत कारों द्वारा किए गए कार्यों पर ही आधारित है 
  • प्रतिनिधि लोकतंत्र को और अधिक बेहतर बनाने या इसे प्रतिस्थापित करने के लिए सोचना और प्रतियोगिता को प्रयोग ही इलेक्ट्रॉनिक लोकतंत्र या ई- लोकतंत्र कहलाता है ।
  • सभी लोग तंत्रों में उभयनिष्ठ समस्याएं यथा -मापन का मुद्दा, समय का अभाव? समुदायिक मूल्यों में गिरावट ,नीतियों पर विमर्श के लिए अवसरों का अभाव आदि को डिजिटल संचार के माध्यम से ही निबटा जा सकता है 
  • ई-लोकतंत्र के समर्थकों ने नीति निर्माण में सक्रिय नागरिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सहभागी लोकतंत्र के विचार का निर्माण किया है।

भारतीय लोकतंत्र पर एक नजर

  • भारत जोकि 1947 ई. में ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ ,80 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं के साथ भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है।
  • संविधान निर्माण के लिए अप्रत्यक्ष रूप से चुने हुए लोगों द्वारा संविधान सभा का निर्माण किया गया।
  • सविधान सभा में चर्चा के दौरान जवाहरलाल नेहरू ,सरदार पटेल ,भीमराव अंबेडकर और एन वी गाडगिल ने भारत के लिए लोकतांत्रिक शासन- प्रणाली को अपनाने की बात की क्योंकि उनका मानना था कि भारत ब्रिटिश काल से ही इस व्यवस्था से परिचित था।
  •  जबकि आरएन सिंह ,लोक नाथ मिश्र और बृजेश्वर प्रसाद जैसे लोगों ने संसदीय व्यवस्था का विरोध किया ।
  • आर एन सिंह ने कहा था कि ईमानदार मंत्रियों मंत्री और संसदीय सचिवों की फौज का मिलना मुश्किल है।
  •  उन्होंने तर्क दिया कि अध्यक्षीय शासन प्रणाली के अंतर्गत एक ईमानदार राष्ट्रपति को पाना तुलनात्मक रूप से आसान है ।
  • भारत के पूर्व के अनुभव को आधार मानते हुए संविधान सभा ने संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया।
  • आजादी के पश्चात जननी व्यस्क मताधिकार पर आधारित सामाजिक चुनाव में भारतीय राजनीति में लोकतांत्रिक संस्थाओं की जड़ों को जमाया।
  • भारत में लोकतंत्र की मुख्य विशेषताएं निम्न हैः
  1. भारतीय संविधान का प्रस्तावना भारत को एक 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्षता लोकतांत्रिक गणराज्य' के रूप में वर्णित करता है भारत एक संसदीय लोकतंत्र है जो 'एक व्यक्ति- एक वोट' की संकल्पना पर आधारित है।
  2. संसद और राज्य की विधानसभाओं में होने वाले स्वतंत्र और निष्पक्ष समय चुनाव सार्वजनिक व्यस्क मताधिकार पर आधारित है।
  3. विधि का शासन यह सुनिश्चित करता है कि भारत का लिखित संविधान सर्वोच्च है ,जिसकी व्याख्या और रक्षा करने का अधिकार स्वतंत्र न्यायपालिका को है।
  4. कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण पाया जाता है।
  5. भारत का संविधान अपने नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
  6. भारत में बहुदलीय प्रणाली का अस्तित्व है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां राजनीतिक में समान रूप से जगह बनाने के लिए प्रयासरत है ,जिस कारण से लोकतंत्र गतिशील और जीवंत बना हुआ है। सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता सदन में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाता है ,लेकिन भारत के संविधान के अनुसार इसके लिए उस दल को सदन की कुल सीटों की संख्या का न्यूनतम 10% सीट लाना अनिवार्य होता है।
  7.  भारत में मीडिया राज्य के हस्तक्षेप से मुक्त योगी सरकार द्वारा क्रियान्वित नीतियों को लेकर जनमत बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • पड़ोसियों से भिन्न ने भारत में लोकतंत्र अच्छे से कार्य कर रहा है ,जो कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं और अभ्यासो के लचीलापन क दर्शाता है ।भारत अपनी साक्षरता दर में वृद्धि और गरीबी मैं कमी करने में सफल रहा है और साथ ही समाज के कमजोर तबकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से मुख्यधारा में लाने मैं भी सफलता प्राप्त की है
  •  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत धीरे-धीरे सहायता प्राप्त करने वाले देशों से सहायता देने वाले देशों की ओर रुख कर रहा है भारत में दक्षिण एशिया के अनेक देशों को आर्थिक सहायता प्रदान की है। 
  • इसके बावजूद कुछ ऐसी चुनौतियां भी हैं जो अभी भी भारत के लोकतंत्र पर प्रश्न खड़ा करती हैं राजनीतिक हिंसा उनमें से एक प्रमुख मुद्दा है जिसका समुचित समाधान किए जाने की आवश्यकता है।
  • प्रक्रियात्मक लोकतंत्र को और अधिक मजबूत किए जाने की आवश्यकता है, और अधिक प्रतिनिधि आत्मक और उत्तरदायित्व फोन बनाने की आवश्यकता है जो सही अर्थों में वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना होगी।









Post a Comment

Previous Post Next Post