मूलभूत विशेषताएं
संविधान
- भारत का संविधान देश के लोगे के इच्छा का प्रतीक है।
- संविधान सभा की कार्यवाही 6 सितंबर ,1946 को शुरू हुई थी एवं संविधान 26 जनवरी ,1950 को लागु हुआ था।
- भारतीय सरकार का पूर्ववर्ति भारत सरकार अधिनियम 1935 था।
भारत सरकार अधिनियम , 1935
- यह अधिनियम संयुक्त चयन समिति की रिपोर्ट का उपज था कको की ब्रिटिश संसद में चर्चा की गयी थी जिस पर महारानी ने 2 अगस्त ,1935 को अपनी सहमति प्रदान की थी।
- इनमे सबसे प्रमुख है संघीय ढांचा।
- केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार तथा इनके बिच सीमाओं का विभाजन। केंद्र सूचि ,राज्य सूचि एवं समवर्ती सूचि।
- दुविसदनात्मक विधायिका , उच्च सदन एवं निमन सदन तथा राज्य विधान मंडल एवं संघीय न्यायालय।
संविधान सभा
- संविधान को बनाने के लिया संविधान सभा का गठन किया गया था।
- संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे , जो प्रमुख सवतंत्रता सेनानी थे एवं जवाहर लाल नेहरू इसके प्रमुख विचारक थे।
- इस संविधान सभा में 381 सदस्य भी शामिल थे। जिसमे विभिन्न राजनितिक दलों के प्रतिनिधि और प्रांतो के प्रतिनिधी तथा कुछ स्वतंत्र सदस्य भी शामिल थे।
- इस संविधान सभा में संविधान के प्रावधानों के ऊपर विस्तृत चर्चा की गई इसके लिए विभिन सिमितियो का भी गठन किया था।
- सबसे प्रमुख समिति प्रारूप समिति थी। जिसने संविधान के प्रारूप को तैयार किया था। इसके अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेडकर थे। कुछ संशोधानो के पश्चात 26 नवंबर ,1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किय गए थे 26 जनवरी ,1950 को भारतीय संविधान लागु हुवा था।
प्रमुख विशेषताए
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताए इस प्रकार है :-
- संविधान सर्वोपरी है
- भारत की संप्रभुता के साथ कोई समझौता स्वीकार नहीं होगा।
- भारत एक गणराज्य है और यह राजशाही में परिवर्तित नहीं हो सकता ,
- लोकतंत्र केवल मताधिकार ही नहीं है बल्कि यह जीवन का आधार है
- धर्मनिर्पेक्षता एवं स्वतंत्र न्यायपालिक इस लोकतंत्र के दो पहिये है
- संविधान में बिना किसी मूल भावना को बदले संशोधन किये जा सकता है।
सार्वभौमिक , लोकतंत्र , गणराज्य
- संविधान की प्रस्तावना में यह घोषित किया गया है की हमारे देश के लोग सार्वभौमिक है। अर्थात संप्रभुता लोगो में मौजूद है तथा इसका इस्तेमाल संस्थाओ द्वारा किया जाता है जो की इस उद्श्ये के लिए बनाये गये है।
- भारत किसी दूसरे देश के ऊपर निर्भर नहीं हो सकता या किसी उपनिवेश में तबदील नहीं हो सकता।
- हमारे देश का संपूर्ण स्वतंत्रता आंदोलन इसी संप्रभुता के सिंद्धान्त पर आधारित था।
- हमारे प्रस्तावना में यह भी लिखा है की हमारा देश गणराज्य होगा जो लोकतान्त्रिक सरकार पर आधारित होगा।
राज्यों का संघ
- संविधान की एक प्रमुख विशेषता यह है की इसने भारत को राज्यों का संघ माना है।
- अनुच्छेद 1 ) संविधान में नए राज्यों के गठन है प्रावधान है तथा नए राज्यों को शामिल करने का भी प्रवधान है।
मूल अधिकार
- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारो का भी प्रावधान है। ये आधिकार इस प्रकार है
- समानता का अधिकार
- स्वतन्त्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- संस्कृतिक एवं शिक्षा का अधिकार
- संविधानिक उपचारो का अधिकार।
- संपत्ति के अधिकार को मुल अधिकार से हटाकर क़ानूनी अधिकार बना दिया गया है। (44 वे संशोधन के बाद )
- मूल आधिकारो को संविधान के भाग तीन में रखा गया है तथा इनको लागु करने का अधिकार सर्वोचय न्यायालय को दिया गया है।
- आपतकाल के आलावा मूल आधिकारो को निलंबित नहीं किया जा सकता है। किन्तु आपत्काल में अनुच्छेद 20 एवं 21 को निलंबित नहीं किया जा सकता है (अनुच्छेद 359 -7 ए ) .
राज्य के निति निर्देशक सिंद्धात
- निति - निर्देसक सिंद्धात आयरलैंड के संविंधान से लिए गए है। इन सिंद्धान्तो को लागु करने के लिए कुछ नियम एवं कानूनों का पालन करना आवश्यक है।
- मूल अधिकारो की तरह ये न्यायसंगत नहीं है .
- मूल अधिकार एवं निति निर्देशक सिद्धंत दोनों संविधान के मूल रूप है।
मूल कर्त्तव्य
- संविधान के भाग 4 में शामिल मूल कर्त्तव्य सभी नागरिको को अनुपालन करने के लिए प्रदान किये गए है।
- सभी नागरिको को संविधान , राष्ट्रीय झण्डा एवं राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए।
- सभी नागरिको का यह कर्तव्य यह की वे देश की एकता एवं अखण्ता बनाये रखे तथा अच्छे समाज के निर्माण के लिए कार्य करे जहा किसी प्रकार की विभाजनकारी प्रवृत्तियाँ न हो।
- सभी नागरिको के अपने प्राकृतिक एवं भौतिक संसाधनों की रक्षा करना चाहिए तथा उच्च स्तर प्राप्त करने के लिए कार्य करना चाहिए।
संघ: कार्यपालिका , विधायिका और न्यायपालिका।
सरकार के तीन अंग या तीन शाखाएं है। विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका।
विधायिका
- सवतंत्रता प्राप्ति के समय , भारत ने संसदनीय शासन प्रणाली को अपनाया था। जिसमे राज्य का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है जबकि सरकार , या मुखिया प्रधानमंत्री होता है जिसमे उसके मंत्री परिषद के सदस्य भी शामिल है तथा ये सामुहिक रूप में संसद के प्रति उत्तरदायी होते है।
- भारतीय संसद देश की सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था है।
- यह दूविसदनामत्क विधानमंडल है जैसे की यू. एस. ए , ब्रिटेन एवं अन्य देशो में है।
- प्रतिनिधिओ के अलवा 12 मनोवित सदस्य भी होते है जो राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते है
- सभी सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है तथा इसके तिहाई सदस्य प्र्त्येक दो वर्ष बाद सेवानिवृत्त होते है।
- राज्य सभा को उच्च सदन और लोक सभा को निमन सदन कहा जाता है
- राज्य सभा को धन विधेयक पर बहुत कम अधिकार है। कियोकि दन विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत नहीं किये जाते है
- ऐसे विधायकों को राज्य सभा 14 दिन के अंदर वापस लोक सभा को भेजती है।
कार्यपालिका
- भारत में कार्यपालिका एवं विधायक , दोनों ही एक दुषरे पर निर्भर है जबकि न्यायापालिका स्वतंत्र निकाय है
- विधायिका लोक सभा ,राज्य सभा एवं राष्ट्पति से मिलकर बनती है
- संघीय मंत्रिपरिष्द के संसदय दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य होना आवश्यक यही चाहे लोक सभा हो या फिर राज्य सभा।
राष्ट्पति
- संसद के दोनों सदन एवं राज्य विधान सभा के सदस्य 'एकल हस्तातंरणीय मत ' के द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव एवं पद से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 52 से 62 में दिय गए है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका की ही तरह भारत के राष्ट्रपति को भी तीनो सेनाओ का सर्वोच्च कमांडर बनाय गया है।
- राष्ट्रपति सभा के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करता है।
- राष्ट्रपति को किसी अपराधी की सज़ा कम करना या माफ करने का अधिकार है। और सभी महत्वपूर्ण व्यक्तिओ की नियुक्ति करता है जैसे प्रधानमंत्री , मंत्री आदि।
- राष्ट्रपति को यह अधिकार है की वे बिल को अपने पास रख सकते है। या फिर वापस संसद के पास अपने सुझावों के साथ भेज सकते है।
मंत्रिपरिष्द
- मंत्रिपरिष्द सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होते है।
- मंत्रिपरिष्द ही राष्ट्रपति को देश के कार्यो या मामलो में सहायता एवं सलाह देती है।
- इसमें सबसे प्रमुख है संसद का विघटन (लोक सभा का विघटन ) , युद्ध की घोषणा या फिर आपत्काल की घोषण करना।
न्यायपालिका
- सरकार का तीसरा महत्वपूर्ण अंग न्यायपालिका है। सर्वोच्च न्यायलय सबसे उच्च न्यायालय है।
- सर्वोच्च न्यायालय के पास वास्तविक एवं अपीलीय क्षेत्र अधिकारी है जबकि उच्च नयायलयो को राज में क्षेत्रधिकारी प्राप्त है। यह संविधान का सरंक्षक है।
- भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायायल के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
- संविधान में न्यायधिशो के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया का भी प्रावधान है संसद को यह अधिकार दिया गया है
आपातकाल प्रावधान
- संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल के प्रावधान है
- तीन प्रकार के आपातकाल घोषित किये गए है।
- 26 अक्टूबर ,1962 - पहली आपातकाली स्थिति की घोषणा 1962 में भारत -चीन युद्ध के समय हुई थी।
- 31 दिसंबर , 1971 - दुतिय आपातकाल की घोषण 1971 में भारत - पकिस्तान के युद्ध के समय हुई थी।
- 25 जून ,1975 - तीसरे आपातकाल की घोषण 1975 में हुई थी
केंद्र - राज्य संबंध
- भारत में केंद्र - राज्य संबंध संघवाद यही और उन्मुख है और संघवाद की इस प्रणाली का उन्मुख है और संघवाद की इस प्रणाली का कनाडा के संविधान से लिया गया है।
सापेक्ष लचीलापन
- संविधान में संशोधन करना इसके लचीलेपन को दर्शाता है।
- दो सबसे प्रमुख इस संशोधन के पहलू है , पहला संसद को इस पर संपूर्ण अधिकार है की वह सविधान में संशोधन कर सकती तथा दूसरा संविधान ही सर्वोपरी है।
- सर्वोच्च न्यायायल यह तय कर सकता है की जो संशोधन किये गए है वे संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है या नहीं।
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