परिवार कानून और राज्य
परिचय
- परिवार और राज्य के बीच संबंध बहुत जटिल है क्योंकि इन दोनों के बीच की सीमाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है जिसके कारण भ्रम और प्रतिवाद उत्पन्न हो जाते हैं।
- वो व्यक्ति जो खुश और सुखी परिवारों से आते हैं उनके एक अच्छे नागरिक होने की संभावना अधिक है जबकि नाखुश शिथिल परिवार कई सामाजिक समस्या और और स्थिरता के लिए प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं ।
- भाषाविद जॉर्ज लेकआफ के तर्क के मुताबिक दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों के परिवारों के विचार एवं नैतिक मूल्यों पर आधारित होते हैं।
राज्यों की संकल्पना
- राज्य को परिभाषित करना आसान नहीं है क्योंकि इसका परिभाषा पर कोई सामान्य सहमति नहीं है ।
- राज्य के विभिन्न रूप है जो कि एक दूसरे से महत्वपूर्ण तरीके से अलग है।
- राज्य ,नागरिक- समाज और राष्ट्र से अलग है।
- राज्य प्रतिरोधी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जबकि नागरिक समाज सुरक्षित भागीदारी पर आधारित है।
- एक राज्य के चार तत्व है- आबादी, क्षेत्र ,सरकार और संप्रभुता।
- हेगेल ने राज्य को "भगवान की पृथ्वी पर चहलकदमी" कहा।
- प्लेटो ने अपनी पुस्तक द रिपब्लिक में आदर्श राज्य की बात कही ।
- अरस्तू ने तर्क दिया कि मनुष्य केवल एक मनुष्य इसलिए था क्योंकि वह पॉलिश का सदस्य था जिसकी वजह से नेक और अच्छा जीवन संभव हुआ।
- थॉमस हॉब्स, जॉन लॉक तथा जेजे रूसो ने राज्य की ,एक सामाजिक अनुबंध के नतीजे के रूप में व्याख्या की है जो कि शासक और उसके द्वारा शासित लोगों के बीच एक समझौता है जिसमें दोनों के अधिकार और उनके कर्तव्य को परिभाषित किया गया है ।
- इस सिद्धांत के अनुसार प्राचीन काल में मनुष्य प्रकृति की एक अराजक स्थिति में पैदा हुए थे जो विशेष संस्करण के अनुसार खुशी या दुखी था।
- फिर उन्होंने, प्राकृतिक कारणों का प्रयोग करके एक समाज का गठन आपस में एक अनुबंध के माध्यम से किया ।
- आधुनिक राज्य को राष्ट्रीय राज्य के रूप में पहचाना जाता है। राज्य अपने वर्तमान चरित्र को हजारों वर्षों की ऐतिहासिक प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त कर पाया है ।
- यह धर्म ,संबंध, युद्ध, संपत्ति, राजनीतिक चेतना और तकनीकी प्रगति जैसे विभिन्न कारकों की अंतः क्रिया है ।
- राज्य के इतिहास के विकास की प्रक्रिया में निम्नलिखित अभिरूप है -जनजातियां राज्य, पूर्वी साम्राज्य,यूनानी शहर राज्य, रोमन विश्व साम्राज्य ,सामंती और आधुनिक राष्ट्री राज्य।
- 1648 में वेस्टफलिया की संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद आधुनिक राष्ट्रीय राज्य का उदय हुआ।
- इसके कारण क्षेत्रीय राज्य का उत्थान हुआ जिसका राजनीतिक प्रभुत्व एक विशेष क्षेत्र में रहा जिसने बाहरी क्षेत्र से घरेलू क्षेत्र अलग किया।
- अमरीकी और फ्रांसीसी क्रांति यों ने राष्ट्रीय राज्यों के उत्थान में योगदान दिया ।
- राज्य के आधुनिक संकल्पना पर उदारवादी और मार्क्सवादी दृष्टिकोण का प्रभुत्व है उदारवादी परिपेक्ष में सक्रिय है क्योंकि यह समय के साथ व्यक्ति और समाज की जरूरतों और हितों के आधार पर बदलता रहा है राज्य का प्रारंभिक उदारवादी दृष्टिकोण नकारात्मक था क्योंकि इसमें व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप ना करने का समर्थन किया था।
- हालाकी 20 वी शताब्दी कल्याणकारी राज्य से संबंधित है जो व्यक्तिगत और सामाजिक हित को मिलाने की कोशिश करता है ।
- राज्य के नारी वादी दृष्टिकोण को मुख्य रूप से दो कोणों में देखा जा सकता है -उदार और कट्टरपंथी ।
- उदार नारीवादी लोग कहते हैं कि पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता लाने में राज्य एक भूमिका निभा सकता है, इसके लिए वह कुछ कदम उठा सकता है जैसे महिलाओं के लिए संसद में सीटें बढ़ाकर इत्यादि।
- दूसरी तरफ ,राज्य को ताकत के एक साधन के रूप में देखते हैं और समाज में महिलाओं की सामाजिक स्थिति के लिए वह एक परिवार में श्रम के असमान वितरण को दोष देते हैं इसलिए वह इस उदारवादी विचार से लड़ते हैं कि राज्य निष्पक्ष और तटस्थ है।
परिवार की संकल्पना
- समाज में परिवार एक बुनियादी और बहुत महत्वपूर्ण प्राथमिक समूह है।
- परिवार एक सामाजिक समूह है जिसमें आमतौर पर पिता, मां ,एक या एक से अधिक बच्चे और कभी-कभी निकट और दूर के रिश्तेदार भी शामिल होते हैं ।
- परिवार को निम्नलिखित परिभाषा ओं के माध्यम से बेहतर समझाया जा सकता है:
- एलियट और मेरे के मुताबिक परिवार एक जैविक सामाजिक इकाई है जो पति पत्नी और बच्चों से बनी है।
- बगेरस और लॉक ने परिवार को इस प्रकार परिभाषित किया है "परिवार ,व्यक्तियों का एक समूह है जो शादी के संबंध से खून के संबंध से या गोद लेने की प्रक्रिया से जुड़ा है ।एक घर में अपनी अपनी सामाजिक भूमिकाओं में पति और पत्नी माता और पिता बेटा और बेटी भाई और बहन आपस में बातचीत करते हैं ताल्लुक रखते हैं और आम संस्कृति बनाते हैं।"
- रॉस के मुताबिक ,परिवार की 4 उप संरचनाओं में पहचान की जा सकती है:
- पारिस्थितिकी या पर्यावरणीय संरचना : यानी कि, परिवार के सदस्यों व उनके परिवारों की स्थान संबंधी व्यवस्था ।
- अधिकार और कर्तव्य के उप - संरचना: अर्थात, गृहस्ती में श्रम का या काम का विभाजन।
- शक्ति और प्रभुत्व की उप - संरचना: यानी कि, दूसरों के कार्यों पर नियंत्रण रखना।
- भावनाओं की उप - संरचना : यानी कि एक परिवार के सदस्यों के बीच संबंध ।
परिवार : मूल सामाजिक इकाई
- मनुष्यो के अस्तित्व के लिए प्रजनन आवश्यक है और सभी समाजों में अपने सदस्यों को प्रतिस्थापित करने का एक तरीका होना चाहिए।
- परिवार अपने एजेंट, विवाह संस्था के द्वारा पुरुष का यौन व्यवहार नियंत्रित करता है।
- परिवार एक ऐसी संस्था है जो अपने सदस्यों को मानसिक और भावनात्मक संतुष्टि प्रदान करती है ।
- व्यक्ति पहले अपने माता-पिता के परिवार में इसने का अनुभव करता है कि की माता-पिता और भाई - बहन उन्हें प्यार ,सहानुभूति और स्नेह देते हैं।
- परिवार दो काम और भी करता है - व्यक्ति के लिए प्रतिष्ठा निर्माण और सामाजिक पहचान ।
- परिवार उत्तरदायित्व की भावना का निर्माण भी करता है।
- एक परिवार के सदस्य होने का मतलब है कि कुछ कानूनी और सांस्कृतिक अधिकार और जिम्मेदारियां मिलान ,जो कि औपचारिक कानूनों के साथ साथ अनौपचारिक परंपराओं मैं सहमति है।
समाजीकरण का एक एजेंट (अभीकरता)
- परिवार एक व्यक्ति में संस्कृति हस्तांतरण के साधन के रूप में कार्य करता है परिवार न केवल मानव जाति की जैविक निरंतरता की गारंटी देता है बल्कि समाज की संस्कृति निरंतर आप भी प्रदान करता है जिसका एक हिस्सा है।
- यह विचारो और विचारधाराओं को लो कृतियों और अचार विचार रीति-रिवाजों विश्वास और मूल्यों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रसारित करता है।
- परिवार समाजीकरण का एक एजेंट भी है सामाजिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अपने समूह के आदर्शों को अच्छे से आत्मसात करें ताकि उसका एक विशिष्ट व्यक्तित्व उभर कर सामने आए।
- यह एक मुख्य एजेंसी है जो समुदाय को नई पीढ़ी को जीवन के लिए तैयार करती है
- यह बच्चों को भावनात्मक रूप से प्रशिक्षित भी करते हैं यह व्यक्तित्व की मूल योजना प्रस्तुत करते हैं ।
- एक परिवार अपने बच्चे को औपचारिक शिक्षा के लिए आधार प्रदान करता है।
- बड़े परिवर्तनों के बावजूद परिवार अपने बच्चे को सामाजिक दृष्टिकोण और आदतों पर मूल प्रशिक्षण देता है जो कि सामाजिक जीवन में व्यस्त भागीदारी के लिए महत्वपूर्ण है।
लोकतंत्र का आधार
- परिवार, लोकतंत्र के विकास के लिए आधार का काम करता है।
- हमारे जीवन और सरकार के परस्पर संबंध खासकर स्व- सरकार के साथ, बच्चा सबसे पहले घर पर सीखता है।
- लोकतंत्र में घर परिवार सबसे महत्वपूर्ण शिक्षण संस्था होता है राजनीतिक समाजीकरण का एक प्राथमिक एजेंट परिवार है जहां बच्चे राजनीतिक दृष्टिकोण ,विचारधारा और नीतियों को विरासत में पाते हैं, जिनका उनके ऊपर काफी लंबा प्रभाव पड़ता है।
- इसकी बहुत संभावना है कि उनका प्रारंभिक वर्षों का मतदान व्यवहार अपने परिवार के सदस्यों के मतदान के नमूनों की सभी दर्शाता हो।
अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण का अभिकरण
- परिवार ने हमेशा सामाजिक नियंत्रण का एक मजबूत माध्यम प्रदान किया है।
- परिवार के माध्यम से सामाजिक नियंत्रण सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीकों से हासिल किया जा सकता है ।
- सामाजिक नियंत्रण सिद्धांत के अनुसार ,जो लोग सामाजिक तौर पर होते हैं उनका व्यवहार सामाजिक रुप से स्वीकार होने की अधिक संभावना होती है और उनसे आपकी पूर्ण व्यवहार की संभावना कम होती है ।
- असफलता के कारण आने वाली परिवारिक गिरावट और किशोरावस्था के अपराधिक देवार के बीच के रिश्ते को लंबे समय से जाना जाता है।
- इस कारण, समाज की पारिवारिक संरचना को मजबूत बनाने और स्थिरता बनाए रखने में गहरी रूचि होती है ताकि इन समस्याओं का प्रभाव हमारी युवा पीढ़ी पर ना पड़े और साथ ही बाकी समाज पर बोझ न बढ़े ।
- ये सामाजिक हित सरकार को शादी और परिवार जैसी नीतियों एवं संरचनाओं को दुरुस्त रखने के लिए प्रेरणा देते हैं।
- आधुनिकरण के आगमन के साथ परिवार जैसी संस्था कई परिवर्तनों से गुजर रही है ।
- इन परिवर्तनों को अनुकूलता से अपना लेना ताकि राज्य व परिवार का रिश्ता समान मुकुल रहे या किसी भी राज्य या सरकार के लिए चुनौती है।
राजनीतिक सिद्धांत मेंं परिवार और राज्य का संबंध
- राजनीतिक विज्ञान में परिवार और समाज के संबंध जैसे विषय का अध्ययन एक सामान्य धारणा के कारण कम हुआ है कि परिवार किसी व्यक्ति का निजी मामला है और राज्य सरकार को इससे दूर करना चाहिए ।
- परिवारिक मामलों में राज्य के हस्तक्षेप पर बहस चलती रही है। जो लोग राज्य का समर्थन करते हैं उनका मानना है कि परिवार एक सार्वजनिक और राजनीतिक इकाई है और राज्य का उसके प्रबंधन में हाथ होना चाहिए।
- इसके विपरीत ,अन्य लोगों का मानना है कि परिवार एक निजी और गैर- राजनीतिक संस्था है जो कि परिवार के सदस्य द्वारा संचालित किया जाना चाहिए, ना कि राज्य द्वारा।
पारंपारिक दृष्टिकोण
- ग्रीक दार्शनिक प्लेटो का विचार था कि परिवार संस्था को राज्य की दया पर निर्भर होना चाहिए।
- प्लेटो ने अपनी पुस्तक, "दि रिपब्लिक" में बच्चों के सामूहिक पालन पोषण, शिक्षा और स्वामित्व की वकालत की है।
- उनका मानना था कि निजी संपत्ति और परिवार, से राज्य में सभी बुराइयों और भ्रष्टाचार के स्रोत हैं परिवार और संवेदना और स्वामित्व की भावना एक आदमी को स्वार्थी बना देती है और यही भावनाएं उस व्यक्ति की राज्य के प्रति प्रतिबद्धता को भी कम कर देती है।
- प्लेटो ने अपने स्वयं और किसी अन्य के बीच कोई भेजना रखते हुए व्यक्ति परिवार और राज्य के बीच एकता देखी।
- उन्होंने पत्नियों और संपत्तियों के सामने वालों का तर्क दिया जा विवाह और निजी संपत्ति को खत्म कर दिया जाएगा और आदर्श राज्य द्वारा इन्हें मान्यता नहीं दी जाएगी।
- हालांकि ,प्लेटो ने राज्य पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है या पारिवारिक मामलों में भी हस्तक्षेप कर सकता है
- प्लेटो के विचार में महिलाओं के प्रति सहनशीलता की कमी भी है क्योंकि इनमें महिलाओं को राज्य के तहत केवल ग्रहण करता और निष्क्रिय प्रजा की तरह देखा जाता है।
- प्लेटो के शिष्य अरस्तु उनसे सहमत नहीं थे उन्होंने अपनी पुस्तक पॉलिटिक्स में तर्क दिया कि राज्य को परिवार संस्था का सम्मान करना चाहिए उन्होंने तर्क दिया कि व्यक्ति का परिवार से राज्य की ओर जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है उनके अनुसार एक रस्सी में परिवार संपत्ति और दास शामिल होते हैं उन्होंने कहा कि परिवार नैतिक का पालन करना है और संपत्ति की एक आवश्यक विशेषता है।
- अरस्तु ने परिवार संस्था निजी संपत्ति का समर्थन इस आधार पर किया कि यह एक व्यक्ति के नैतिक गुणों के विकास की जरूरत है जो एक राज्य के कल्याण के लिए आवश्यक है उसने परिवार को एक पवित्र निजी संबंध के रूप में देखा और इसे व्यक्तिगत क्षेत्र में रखा हालांकि उनका मानना था कि परिवार में मर्द औरत से श्रेष्ठ है तथा उन्होंने दांतो को भी उचित आदर नहीं दिया क्योंकि हमारी के आदेश के अधीन थे ।
मार्क्सवादी दृष्टिकोण
- मार्क्सवाद में परिवार और राज्य के संबंधों को समझाते हुए एक संघर्ष के परिपेक्ष्य को सामने रखा जिसमें सामाजिक संघर्ष और असमानता महत्वपूर्ण है।
- परिवार के बारे में मार्क्सवादी सिद्धांत का ध्यान इस बात पर केंद्रित था कि कैसे पूंजीवादी व्यवस्था जो कि पूंजी पतियों और श्रमिकों के बीच शोषण के संबंध को बनाए रखती है।
- मार्क्सवादी का यह भी मानना है कि छोटा परिवार शासक वर्ग के लिए एक साधन एक संस्था है जो कि अपने सदस्यों को शासक वर्ग के आगे संपन्न करना सिखाता है।
- फ्रेडरिक एंजल्स ने तर्क दिया कि तीनों व्यवस्थाएं निजी संपत्ति परिवार और राज्य आपस में जुड़े हुए हैं और परिवारिक संबंध संपत्ति के संबंधों के जवाब में विकसित होते हैं।
- एंजेल्स का मानना था कि मानव विकास के शुरुआती चरणों में, संपत्ति सामूहिक स्वामित्व में थी और परिवार का कोई अस्तित्व नहीं था।
- समुदाय स्वयं ही एक परिवार था और यौन संबंध के लिए कोई सीमा नहीं थी। लेकिन, संपत्ति के निजी स्वामित्व का प्रश्न उभरकर आने पर और बारिश और उत्तराधिकारी के विचार आने पर पितृत्व का महत्व बढ़ गया ।
- इस कारण ,एक स्त्री से विवाह करने का नियम बनाया गया जिससे वारिस की वैधता और महिलाओं की कामुकता को नियंत्रित करने की बात कही गई है ।
- मार्क्स और एंजेल उदार वादियों द्वारा बनाए गए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सताई विभेदन की भी आलोचना करते हैं।
- मार्क्स ने कहा कि राज्य निजी क्षेत्र (परिवार) से दूर नहीं रह सकता और यह परिवार में विरोधाभास को पुनः उत्पन्न करता रहता है।
उदारवादी परिप्रेक्ष्य
- सार्वजनिक और निजी खेत का विचार उदार परिपेक्ष में देखा जा सकता है ।
- आइडिया बलिरन ने अपने लेख" टू कांसेप्ट ऑफ लिबर्टी "में कहा है कि निजी जीवन और कार्बनिक प्रदीकरण के क्षेत्रों के बीच सीमा रेखा खींची जानी चाहिए ।
- सार्वजनिक क्षेत्र के पास होता है और निजी क्षेत्र का व्यक्ति के पास।
- पारंपारिक उदारवादी विचारक परिवार को एक प्राकृतिक जैविक और व्यक्तिगत इकाई मानते आए हैं। वे दृढ़ता से कहते हैं कि परिवार व्यक्तियों से बना है और इस संस्थान में अपनी इच्छा से आते हैं और अजय को उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
- जॉन लॉक ने तर्क दिया कि परिवार की उत्पत्ति एक पुरुष और महिला की स्वैच्छिक सहमति से होती है और राज्य को उसमें हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए
- जॉन रॉयल्स का कहना है कि परिवार सामाजिक संस्थानों में से एक है जिसका मूल्य का न्याय के सिद्धांत द्वारा किया जाना चाहिए।
- जे एस मिल ने नैतिकता और अच्छी राजनीति के बीच कड़ी को पहचाना है।
- उनका मानना था कि अच्छे नागरिक मशरूम की तरह से अपने आप नहीं जाते हैं बच्चों को अच्छाई और ज्ञान के साथ बड़ा करना प्रोत्साहित करना एक सामाजिक जिम्मेदारी है।
- मिल ने कहा कि लोकतांत्रिक नागरिकता के लिए परिवार एक परीक्षण का मैदान है और परिवार को समानता और न्याय के उन मूल्यों और को प्रतिबिंबित करना चाहिए जिस पर लोकतंत्र आधारित है ।
- इसलिए ने महिलाओं के साथ वर्तमान परिवारिक संरचना में होने वाली असमानता की निंदा करते हैं क्योंकि इससे बच्चों में लोकतांत्रिक चरित्र को बढ़ावा नहीं मिलता।
- किंतु वह परिवार के अंदर क्रम में लैंगिक विभाजन को न्याय संगत बताते हैं क्योंकि वह सामान्य रीति-रिवाज और सहमति पर आधारित है।
नारीवादी दृष्टिकोण
- नारीवादी लोगों ने महिलाओं के जीवन पर पारिवारिक जीवन के प्रभाव का विश्लेषण करने की मांग की है ।
- मार्क्स वादियों की तरह उनका मानना है कि परिवार भी पूंजी वाद की चाकरी भविष्य की श्रमिक शक्ति उत्पन्न करके करता है किंतु दृढ़ता पूर्वक एक बात कहीं कि वह परिवार नहीं महिलाएं जो अधिक पीड़ित है।
- उग्र नारीवादी नारी वादियों से सहमत है कि परिवारों में महिलाएं ही कष्ट भोगति है ।
- फिर भी वेब पूंजीवाद को शोषण का मुख्य स्रोत नहीं मानते ।उनका ध्यान मुख्यता पुरुष और पुरुष प्रधान समाज की प्रकृति पर है।
- उनका तर्क है कि घर पर सहभागीयो के बीच और समानता है इस तथ्य का परिणाम है कि अधिकांश घरों के मुखिया पुरुष होते हैं ।
- जे एस मिल का प्रसिद्ध कहावत है "एक भेदभाव रहित परिवार नागरिकों को बराबरी सिखाने लिए उपजाऊ जमीन साबित होता है"।
- पुरुष और महिलाओं के बीच समानता लाने के लिए उदारवादी मानते हैं कि संवैधानिक सुधार होना चाहिए जिससे पुरुष भी घरेलू कामकाज में अपना योगदान दें ।इसे नागरिक नारीवाद कहते हैं ।
- समाजवादी नारीवाद चाहते हैं कि मुक्त जन्म नियंत्रण, गर्भपात, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रचार हो और राज्य द्वारा घरेलू श्रम को मान्यता प्राप्त हो ।
- उग्र नारीवादी चाहते हैं कि महिलाओं को सक्रिय नागरिक बनाने के लिए उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश मिलना चाहिए और राज्य को पारिवारिक मामलों में हस्तक्षेप की अनुमति मिले ताकि लिक आधारित भेदभाव समाप्त हो
- थाँर्न और आलम का तर्क है की नारीवाद नहीं परिवार को समझने के लिए कई व्यापक विषयों पर योगदान दिया है वे है :
- पहले नारीवादी होने "अखंड परिवार" की विचारधारा को चुनौती दी जिसने छोटे परिवार को बढ़ाया जिसमें एक पति है रोटी कमाने वाला और एक पूर्णकालिक का पत्नी और मां, यह एकमात्र वैध रूप है।
- नारी वादियो ने इस बात को पहचानना की लिंग, पीढ़ी ,जाति और वर्ग जैसी संरचनाओं के परिणाम स्वरुप परिवारिक जीवन में अलग - अलग अनुभव होते हैं जो कि छोटे परिवार मातृत्व एवं एक प्रेम पूर्ण आश्रय देनेवाले परिवार की महिमा के आगे धुंधले पड़ जाते हैं ।
- नारीवाद ने निजी और सार्वजनिक के बीच पारंपरिक विभाजन को चुनौती दी है और परिवार की सीमाओं पर सवाल खड़े किए हैं उनके अनुसार परिवार व समाज की सीमाओं का विभाजन मुश्किल है क्योंकि परिवार व समाज में करीब का रिश्ता है- जैसे कि राज्य की कानून व कल्याण प्रणाली स्कूल शिशु पालन आदि गतिविधियां परिवार पर असर डालती है इस कारण 1970 में नारी आंदोलन का मुख्य नारा था "दी पर्सनल इज पॉलीटिकल"।
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IGNOU
Very good ����
ReplyDeletegood sir
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